रावी न्यूज बटाला
उत्तर भारत के प्रमुख श्री अचलेश्वर मंदिर धाम में महाशिवरात्रि पर मंगलवार को शिव भक्त माथा टेककर भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लेंगे। इस मंदिर में भगवाना भोलेनाथ के बड़े पुत्र भगवान कार्तिके पिडी स्वरूप में स्थापित हैं। पूरा मंदिर रंग बिरंगी रौशनियों से जगमगा उठा है। आने वाले श्रद्धालुओं के लिए लंगर की भी व्यवस्था की गई है।
श्री अचलेश्वर मंदिर कार सेवा ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी पवन कुमार पम्मा ने बताया कि भक्तों के दर्शनों के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। लंगर की व्यवस्था भी की गई है। मंदिर में आने वाले भक्तों को करोना से बचाव के लिए शारीरिक दूरी का पालन करना चाहिए और साथ ही मास्क पहन कर श्रद्धालु मंदिर में आएं। मान्यता के अनुसार जब भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती ने दोनों पुत्रों भगवान श्री कार्तिकेय और श्री गणेश में से एक को अपना उत्तराधिकारी बनाने के लिए बुलाया तो भगवान भोलेनाथ ने कहा कि जो भी तीन लोकों का चक्कर काटकर सब से पहले पहुंचेगा वही हमारा उत्तराधिकारी होगी। इसके बाद श्री गणेश मूशक पर तो भगवान श्री कार्तिकेय अपनी सवारी मोर पर सवार हो कर तीनों लोकों की यात्रा पर निकल पड़े। इसी दौरान श्री गणेश जी को रास्ते में नारद मुनि मिले और यात्रा का कारण पूछा तो गणेश जी ने सारी बात बताई। इसके बाद नारद मुनि ने कहा कि तीन लोक तो तुम्हारे माता-पिता के चरणों में हैं। इस पर गणेश जी वापस कैलाश पर्वत पर आए और भगवान शिव और माता पावर्ती के गिर्द चक्कर काट बोले मेरे तीनों लोक तो आपके चरणों में है। यह सुनकर भगवान भोलेनाथ ने श्री गणेश को अपना उत्तराधिकारी बना दिया। जब श्री गणेश को उत्तराधिकारी बनाया गया उस समय भगवान कार्तिकेय बटाला से करीब सात किलो मीटर दूर बने श्री अचलेश्वर धाम में विश्राम कर रहे थे। पता चलते ही कार्तिकेय नाराज होकर इसी जगह बैठ गए। इसके बाद भगवान भोलेनाथ ने कार्तिकेय को वर दिया कि इस जगह हर साल नवमीं-दसवीं की रात को समस्त देवी-देवता आया करेंगे और यहां पर बने सरोवर में स्नान करने वाले भक्तों को अपन अपना आशीर्वाद दिया करेंगे। तभी से ही इस जगह का नाम श्री अच्लेश्वर धाम मंदिर पड़ा है। श्री अच्लेश्वर धाम मंदिर में देश भर से श्रद्धालुगण इस मंदिर में माथा टेक कर भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आज भी देश भर से पहुंचने वाले श्रद्धालु दिन भर पूजा पाठ करेंगे और लंगर रूपी प्रसाद ग्रहण करेंगे।